कुछ घंटे में साफ हो जाएगा कि हरियाणा की सत्ता भाजपा के पास रहेगी या कांग्रेस एक और राज्य भगवा दल से छीन लेगी. ग्राउंड रिपोर्ट और एग्जिट पोल के रुझान से कांग्रेस पार्टी उत्साहित है. इसकी एक बड़ी वजह है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां भाजपा को सत्ता में आने से रोक नहीं सकी लेकिन बड़ा नुकसान जरूर पहुंचाया है. अगर आज हरियाणा में कांग्रेस सत्ता में लौटती है तो यह सिर्फ एक राज्य में नहीं बल्कि आने वाले तीन प्रमुख राज्यों में कांग्रेस+ के पक्ष में माहौल तैयार करेगा.
हां, आगे महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हैं. अगले कुछ दिनों में ही वहां चुनाव की घोषणा होने की उम्मीद है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव आगे होने वाले हैं. ऐसे में हरियाणा का फैसला कई मायने में बड़ा संदेश लेकर आ रहा है. इससे पता चलेगा कि क्या हिंदी पट्टी में विपक्ष यानी कांग्रेस+ का दबदबा बढ़ रहा है क्योंकि पिछले 10 साल से यह भाजपा का एक अभेद्य किला रहा है.
कांग्रेस ने दो साल पहले हिमाचल प्रदेश पर कब्जा जमाया था और हाल में हुए लोकसभा चुनावों में उसने सहयोगी सपा के साथ मिलकर यूपी में भाजपा के किले को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया. यूपी में भाजपा डगमगाई तो देशभर में स्पष्ट संकेत गया कि उसका वोटबैंक खिसक रहा है. यूपी से ही दिल्ली का रास्ता निकलता है. हरियाणा भाजपा के हाथ से निकला तो वह एक पूरे क्षेत्र से बाहर हो जाएगी क्योंकि पड़ोसी दिल्ली और पंजाब में पहले से ही आम आदमी पार्टी सत्ता में है.
किसानों की कथित नाराजगी के बीच हरियाणा से ऐसी रिपोर्टें आईं कि लोग अब पुराने बयानों से थक चुके हैं. वे बदलाव चाहते हैं. एग्जिट पोल भी कुछ ऐसी ही बातें कहते दिखे. कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि भाजपा का इंटरनल सर्वे भी एग्जिट पोल के ही जैसा रहा है. कांग्रेस को 60, भाजपा को 20 और दूसरे दलों को 10 सीटें मिल सकती हैं. भाजपा को सत्ता विरोधी लहर, मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ नाराजगी और उनके उत्तराधिकारी नायब सिंह सैनी के कम समय में सुधार करने असमर्थ दिखने के चलते कांग्रेस को खुला मैदान मिला है.
वैसे, मतगणना से पहले तक भाजपा को भरोसा है कि वह लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता बरकरार रखने में कामयाब होगी. सुबह आठ बजे से शुरू होने वाली मतगणना प्रक्रिया के लिए सुरक्षा व्यवस्था समेत सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच पहला बड़ा सीधा मुकाबला है. इस चुनाव के परिणाम का इस्तेमाल विजेता दूसरे राज्यों में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए करेंगे, जहां अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं. इस चुनाव में मुख्य पार्टियां भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जननायक जनता पार्टी (जजपा)-आजाद समाज पार्टी (आसपा) हैं. ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है.
कई एग्जिट पोल ने हरियाणा में कांग्रेस की जीत का अनुमान जताया है, जहां 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ. एग्जिट पोल के नतीजों को खारिज करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा कि जब आठ अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे तो कांग्रेस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को दोष देगी. दूसरी ओर, कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूर्ण बहुमत मिलने का विश्वास जताया है. हुड्डा को कांग्रेस के जीतने पर मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है.
इनेलो-बसपा गठबंधन ने भी दावा किया है कि नतीजे घोषित होने के बाद वह अगली सरकार बनाएगा, जबकि जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने विश्वास जताया है कि उनके गठबंधन को जीत मिलेगी. हरियाणा में अपने बलबूते चुनाव लड़ने वाली आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल दावा करते रहे हैं कि उनकी पार्टी के समर्थन के बिना हरियाणा में कोई सरकार नहीं बन सकती.
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